हाँ, लगभग सच में किसी के पास नही !.!
आजे हम एक ऐसे अनसुलजे पासा के विषय में जानेंगे जिसका जवाब वैज्ञानिको के पास भी नहीं और मेरे पास भी नहीं है . अगर हम इस विषय का अध्यन करें तो भूगोलशास्त्रका विषय है पर कितनी ही न बनने लायक घटनाने परिस्थिति को गंभीर बनाया है.नीचेके चित्र देखें
क्या है यह ?
आप जवाब देंगे की यह तो किसी कंपनीका सिम्बोल है इसमें नया क्या क्या है..जो आप भी ऐसा सोचते है या जवाब देते है तो आप बिलकुल ही गलत हैं.क्युकी यह कोई सिम्बोल या आकृति नही यह भुट्टा और गेहू के के खेत में बनाया गया क्रोप सकँल (भेदी वृत्त) हे जो अभी तक मिली जानकारी अनुसार मानव सृजित नहीं हे. और ऐसे एक नहीं अनेक सकँल(वृत्त या परिमंडल) किसके द्वारा बनाया जा रहाँ हे यह भी जानकारी उपलब्ध नहीं हे.
अब आपका सवल यह होगो की, अगर यह वैज्ञानिको अथवा अन्य किशी ने बनाया नहीं हे तो किसका बनाया हो सकता है ?बस यही बात किसी को समज नहीं आ रही हे, आंतकवादी घटना बने तो उसकी जवाबदारी लेना आतंकी संगठनो भूलते नहीं हे, तो फिर इस इंजीनियरिग शोध अगर किसी ने की हे तो उसके लिए मान-सन्मान लेने को कोई चुकता नहीं हे.
क्रोपसकँल के विषय में विस्तृत जानकारी के लिए निचे दिए पहलु पढ़े..
- यह कोई मानव निर्मित आकृति नहीं हे .कारणकी रात होने से पहले जो खेत बिना क्रोप सकँल का हो और फसल से लहराता हो वहां दुसरे दिन यह भेदी वृत्त अथवा परिमंडल बन जाता है..
- वैज्ञानिको के मत अनुसार टेक्नोलोजीका उपयोग करके भी इस प्रकार के सटीक सकँल मात्र एक रातममें बनाना मुश्कील हे यानि यह मानव द्वारा बनाया हुआ नहीं है.
- उसके एक एक कोण सटीक है उसकी बनावटमें कभी भी कही पर भी भूल देखने में नहीं आई हे.
- उसकी बनावट में विविधता हे जैसे की जेलीफीश,पाई सकँल
(उपरका चित्र पाईना सकँलका है जो पाईका जवाब 3.1415926 दर्शाता है )
कितने ही विरोधाभास
- कितने ही वैज्ञानिक और व्यक्ति भी मानते है की जरूर यह दुसरे ग्रहके एलियन (बुद्धीशाली जीवो)का काम है जिसका विडियो भी युट्युब पर हे अब वह सही है या गलत यह तय करने का काम आपका है विडीयो देखने के लिए यहाँ क्लिक करो.
- अगर कोइ व्यक्ति या संगठन यह काम करते तो भी माना नहीं जा सकता है. कारण की विश्व के बहुत से देश इसकी चपेट में आये है इसलिए एकसाथ इस प्रकार छुपीरीत से कोई व्यक्ति या संगठन इस कार्य को पूर्ण नहीं कर सकते.
क्रोप सकँल के विषय पर अधिक जानकारी...
- विकीपिडीया पर..
- मानवसजिँत क्रोप फायरफोक्स क्रोप सकँल..(गुगल अथँ पर)
यह जेली फ़ीस का क्रोप मावन विरमित नहीं है.
फोटोग्राफ..
क्रोपसकँल कोई व्यक्ति या वैज्ञानिकोके संगठन मात्र एक रातमें बना शकते है की नही, इसकी गणना व अधिक जानकारी के लिए डिस्कवरी चेनले इ.स. 2002 में मिट नामकी एन्जिनिअरिंग संस्थाके पांच इंजिनियर संगठनो को एक ही रात में ऐसा सकँल बनाने के लिए दिया गया पर पूरी मेहनत अंत में व्यथँ नीकली कारणकी चेनल द्वारा दिए गए समय में उसे पूर्ण किया गया पर संगठन को दिए गए क्रोपसकँल के लिए नियमोका पालन न कर सके ..
खास आपके लिए..
अब आपके लिए उपयोगी बातें कहनी है
- जो आपको पता लगे की यह सकँल (भेदी वृत ) कोंन बनाता है तो मेरे इ-मेइल पर जरूर इमेल कीजिएगा..
- डिस्कवरी चेनल द्वारा उसके इस प्रयोगका एपिसोड इ.स. 2002 में 10 ओक्टोबरके दिन Crop circles Mysteries in the fields के नाम चेनल पर प्रसारीत भी किया था जो उसकी डाउनलोड लिन्क मीले तो यहाँ कोमेन्ट बॉक्स में उसकी लिंक दे ने की कृपा करें.
- अधिक जानकारी के लिए आप क्रोप सकँल को गुगल पर सचँ कर शकते हे ..!..!!!
- अधिक फोटोग्राफ चाहिए तो अन्य साईटो, गुगल और बिंग IMAGE SEARCH पर मिल सकती है ..
10 comments:
इसके बिषय में कहने के लिए तो बहुत कुछ है लकिन मै इतना ही कहना चाहता हू की ये किशी मानव द्वारा किया गया काम है मेरा एक सवाल ये गोलव केवल USA में ही क्यों मिलते है ...?
Discovery पर इस विषय का कार्य्क्रम देखा था उसमे इसके मानव निर्मित होने की बात कही गयी थी
1. ये क्राप सर्कल अधिकतर युनाइटेड किंगडम मे पाये जाते है।
२. कुछ क्राप सर्कल युरोप के कुछ अन्य हिस्से मे पाये गये है।
३. कुछ लोगो ने यह प्रमाणीत कर दिया है कि क्राप सर्कल कुछ साधारण उपकरण जैसे रस्सी और खुंटीयो से क्राप सर्कल कुछ घण्टो मे बनाए जा सकते है।
४. ऐसे कोई प्रमाण नही है जो यह कहते हो कि इन्हे परग्रहीयो ने बनाया है।
५. डीस्कवरी के जीस एपीसोड का उल्लेख आपने किया है, वह मैने देखा है उसमे इसके मानव निर्मित होने की बात कही गयी है।
६. इण्टरनेट(युट्युब भी) ऐसी कई बकवास अपवाहो से भरा पढा है जिनकी कोई प्रमाणिकता नही है।
अगर हम मानना चाहते हैं तो कुछ भी मान सकते हैं। हमारी सीमाएं इसमें हमारी मदद करती हैं।
सवाल इस तरह भी उठाया जा सकता है कि यदि ये मानव निर्मित नहीं है, तो फिर? इसके जवाब ही हमें हमारे वैचारिक अनुकूलन के करीब लगते हैं, यानि कि्सी अलौकिक हाथ तक पहुंचने के।
यही तो हमारी समझ की सीमा है कि हम अलौकिक हस्तक्षेपों की हमारी अवधारणाओं से मुक्ति नहीं पाना चाहते। वह हमें हमारे अस्तित्व की शर्त सी लगने लगती है, और हम गाहे-बगाहे प्रमाण ढूंढ़ते रहते हैं।
शुक्रिया।
इससे परिचित तो नहीं था ! अच्छी लगी जानकारी !
रोचक जानकारी दी है। पहले मैने भी डिस्कवरी पर इस कार्यक्रम को देखा था।
मेरा विचार जो कहता है की जब हम विमान से दिल्ली उतारते हैं तो सबसे पहले बड़ी बड़ी इमारते ही दिखती हैं..
शायद एलियन जब ब्रम्हांड से पृथ्वी में प्रवेश करते हैं तो यूरोप और अमेरिका की बड़ी बड़ी इमारते पहले दिखती हैं और उस और मुड जाते हैं...
आप ही कुछ प्रकाश डालिए ..
सर इस बारे मे कुछ नया पता चले तो हमे बताना न भूले
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