पूरा जगत जिससे जुडा है और अपनी अक्षम ताकात द्वारा लोगोको अपने मोहमें जकड कर रखनेवाले ईन्टरनेटकी चाबी है किसके हाथमें? जो विश्वस्तरे पूरा ईन्टरनेट डगमगाए अथवा सायबर अटेक हो तो क्या होगा? इन सभी सवालों के जवाब निचे है.
इन्टरनेटका जन्म हुआ तब गिनी चुनी वेबसाईटे देखने मिलती थी. जबकि आज लगभग १८.५ करोडसे भी अधिक साईटो का बोज ईन्टरनेट अपने माथे ले रहा है. रोज ब रोज के जीवनमें भी इन्टरनेटका उपयोग बढ़ गया है. फेस टु फेस मिलाप न हो सके तो क्या प्रोब्लेम, परंतु फेसबुक पर एक दिन भी चुके’ तो आसमान तूट पडे. ईमेल, चेटिंग, वीडियो, सोशियल नेटर्विंकग, ब्लोगिंग, जोब ढूंढने, मकान ढूंढने, होटेल, गुमने फिरने, वार्ता, बुक्स, बोलिवूड, होलिवूड न जाने कितनी जानकारी के लिए ईन्टरनेटका प्रयोग करते है.
ईन्टरनेट पर सेकडो से हजारो और लाखो से करोडो वेबसाईटो का ढेर लगने लगा है जिससे उसे DNS (Domain Name System) द्वारा मैनेज किया जाता है. इस सिस्टममें उस वेबसाईटका एक युनिक आईपी एड्रेस होता है, जिसे डोमेन नेममें कन्वर्ट किया जाता है जिससे लोगोको याद करनेमें सरलता रहे. और डोमेन नेमकी URL द्वारा उस वेबसाईटको ईन्टरनेट द्वारा सर्फ किया जा सके. करोडो वेबसाईटके करोडो डोमेन नेम युनिक होता है और उसे मेनेज किया जाता है, नोन-प्रोफिटेबल ओर्गेनाईजेशन ICANN (Internet Corporation for Assigned Names and Numbers) द्वारा. यह ओर्गेनाईजेशन वेबसाईट के डोमेन नेमकी संभाल करते है साथ में DNS द्वारा उसके होस्टिंग सर्वर के साथ उसी नाम से वही वेबसाईट ओपन हो उसकी संभाळ होती है.
थोडे महिना पहले ही अफवाए उडी थी की ईन्टरनेटकी “किल स्विच (Kill Switch)” है जिसके पास वेब पर सायबर अटेक होने पर सभी वेबको बंध और फिर से चालु करने की ताकात है. जोकि अब यह अफवा हकीकतमें बदल गई है. कभी विचार किये है की ईन्टरनेट पर हमने अपनी अंगत फोटो, माहिती और ईमेल जेसी वस्तुओ को संभाल रखा है उस पर अचानक सायबर अटेक हो तो? बट डोन्ट वरी, इससे निपटने के लिए प्लान ICANN द्वारा ढूंढ लिया है.
वेब उपर सायबर अटेक यानि क्या?
वैसे तो किसी साईटको टार्गेट करके ‘ब्लेक हेट’ हेकर्स रोज किसी न किसी वेबसाईट पर सायबर अटेक करते रहते है. जिसमे वेबसाईट वायरस, मालवेर या अन्य कोई सोफ्टवेर्स ईन्स्टोल कर देते है, जिसके परिणाम स्वरुप वेबसाईटके उपयोग कर्ता को अपने कम्प्युटरमें टेकनिकल तकलीफ भुगतनी पडती है. इसके साथ हेकर्स वेबसाईट द्वारा उपयोग कर्ताकी पर्सनल, फाईनान्सियल और अन्य माहिती चोरी करने के लिए भी सायबर अटेक करते रहते है. राजकीय अथवा सुरक्षा व्यवस्थाकी माहितीओकी चोरी करने के लिए भी देशकी वेबसाईटो पर हेकर्स हमला करते रहते है.
इस प्रकार के सायबर अटेकको रोकी अथवा काबूमें ले सकते है, परंतु पुरे की पूरी वेब पर ही जो सायबर अटेक करनेमें आये तो? इस हमलेमें शक्य है की वेबसाईटे डोमाडोल हो जाय. आप गूगल सर्च करें और याहू ओपन हो जाय ऐसा हो सकता है. वेबसाईटके युनिक नेम बदल जाय, इस प्रकार की घटना डिसेम्बर २४, २००४के दिन बनी थी, जिसमे एक तुर्कीश ईन्टरनेट र्सिवस प्रोवाईडर द्वारा भूलसे अपना राउटर ऐसी रीत से सेट किया था की दुनियाकी सभी वेबसाईट उसके राउटर परसे गुजर कर जाये. जिसके परिणाम स्वरुप लोड बढ़ जाने से पूरा ईन्टरनेट ठप्प हो गया था और बहुत सी वेबसाईटे बंध हो गयी थी. यह तो भूलसे हुयी घटना थी, परंतु ऐसा ही काम जो बदईरादेसे करनेमें आये तो उसे पक्का सायबर अटेक समज सकते है.
सायबर अटेकको रोकने कोनसा प्लान?
इस प्रकारके सायबर अटेकको रोकने ‘ईन्टरनेटकी चाबी’ बनानेमें आयी है, जिसके द्वारा सायबर अटेकके हमलेमें अथवा तो भूकंप या अन्य कोई बड़ी कुदरती आफतके कारन वेब डावडोल हो तो उस चाबी द्वारा पुरे पूरी वेबको फिरसे चालु कर सकते है. इस चाबी को खूब ही विश्वासु सभ्योके हाथमें सोंपनेमें आती है, जिसकी पास वेबको रिबूट करनेकी सत्ता होती है. यह चाबी कोई एकके हाथमें न हो कर सात देशके अलग अलग सभ्योको सोंपनेमें आती है. हाल में ही इस चाबको सभ्योको दी गई है . जो अमेरिकामें गुप्त जगह बंकरमें लोक करके राखी गई थी. बंकरमें भले ही लोक हो पर इस क्रियामें आर्मी या राजनेताकी भूमिका होती नहीं है. आंतरराष्ट्रीय स्तर पर अथवा बड़ी अटेक के समय बड़े सर्वर डेमेज होने से अस्त वस्त हो सकती है. जैसे न्युक्लियर बोम्ब विस्फोट के लिए किसी एकको निर्णय का पावर नहीं होता और सभी सभ्य देशोको एकसाथ होकर प्रोसेस करनि पडती है. उसी प्रकार सायबर अटेकके समय ईन्टरनेट चाबी धारक कम से कम ५ सभ्य अमेरिकामें एक सेन्टर पोईन्ट पर एकत्रित होना रहता है और उनकी चाबी कनेक्ट करनि पडती है. उसके बाद वे संपूर्ण ईन्टरनेटको बंध करके फिर चालु कर शकेंगे. पांच चाबी साथ होनी जरुरी है तभी ही वह कनेक्ट हो सकेगी.
क्या है ईन्टरनेट चाबी?
ईन्टरनेटकी चाबीको कनेक्ट करना यानि होलिवूडकी जेम्स बोन्ड फिल्मी स्टाईल अनुसार टोप सिक्रेट जगह पर बड़ी बिल्डिंगमें लाल-पीळी लाईटो जलकती होगी और बड़ी बड़ी कम्प्युटर सिस्टम्स होगी और अभेद्य सिक्योरिटी होगी वहां कनेक्ट करने जाना पड़ता होगा. जो आप भी ऐसा सोच रहें हे तो आप बिलकुल गलत सोच रहें है. ईन्टरनेट चाबी एक हमारे ड्राईविंग लायसन्स जेसा ही स्मार्ट कार्ड होता है, जिसमे cryptographic Keys होता है. यानि की कोड बनानेमें आता है, जिसे हल करना लगभग अशक्य जैसा होता है. यह पांच कार्डधारको मिले और एकसाथ मेच करे तो ही पूरा ईन्टरनेट फिर से चालु कर शकटे है.
किसकी पास है ईन्टरनेटकी चाबी?
ईन्टरनेटकी चाबी विश्वके बराबर भागमें दक्षिण, उत्तर, पूर्व और पश्चिम जोन जैसे सात देशोको सोंपि गई है. जिसमे अमेरिका सहित ब्रिटन, चीन, ट्रिनिदाद एन्ड टोबेगो, र्बुकीना फासो, चेक रिप्बलिक और केनेडाका समावेश किया गया है. इस देशोके सभ्योके नाम सुरक्षाके कारण गुप्त रखे जाते है. उसके बाद भी हालमें ही न्यूझ मिली है की ब्रिटेन तरफसे नये सभ्य के रूप में पोल केननि को चुना गया है. ईन्टरनेटकी कम्युनिटी द्वारा सिलेक्ट होती 21 Trusted Community Representatives (TCRs) सभ्योकी टुकडीका तीसरा भाग यानि की सात सभ्योको इस ईन्टरनेटकी चाबी के लिए पसंद करनेमें आता है.
5 comments:
सही कह रहे है जनाब |
इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए आभार।
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देखिए ब्लॉग समीक्षा की बारहवीं कड़ी।
अंधविश्वासी आज भी रत्नों की अंगूठी पहनते हैं।
अन्तर्जाल जगत की तथ्यपूर्ण जानकारी हेतु आभार आपका...
bahut upyogi site hai
knowleadge se bharpur
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